हालात कुछ ऐसे है के चुप रहना भाने लगा है लाचार सा दिल है चीखे उसकी छुपाने लगा है बैराग सी राह है राही मै बैरागी हूँ कुछ पाने की चाह नहीं अब भटकता मै बंजारा हूँ टूटकर टूटना सहा है मैंने टूटने के लिए कुछ बचा नहीं तोड़ने वाला लाख पुकारे मुड़ने के लिए अब वजह नहीं -प्रियंका
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वजह नहीं
One reply on “वजह नहीं”
Nice
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