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Poetry

वक्त वक्त कि बात

जो बित  गया वो कल था
तू आने वाले कल की फिकर कर ,
ज्यादा कम की लालच छोड़ 
बस  तू थोड़ा सबर कर 


क्या सही , क्या गलत  ये सब उलझन है 
तू अपने धर्म से वाकिफ रह ,
अंदरकी सच्चाई  कायम रख 
झूठे जज़्बातोमे मत बह


गलतिया जो  कल की थी
आज में वह दोहरा मत ,
सुधारनेका एक मौका है
बेवकूफियों में गवां मत


वक्त हर एक का आता है
 वक्त तेरा भी आएगा ,
दायरे जो तूने तोड़े है
कल तू खुद को कैद में पायेगा


            - प्रियंका ढिवरे 
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By writoshine

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