उसकी बेरहम नज़र और वो अजीब सी छुवन जैसे हज़ारो काँटों ने नोच लिया हो बदन मेरा उसकी उस घिनौनी सोच ने जैसे रंग दिया हो कफ़न मेरा किसे बताऊ ? कैसे बताऊ ? क्या कोई समझेगा मुझे ? मेरी इन दबी चीखोसे क्या कोई बाहर निकलेगा मुझे ? बड़ी अजीब सी उलझन है ये अपना समज़कर बता दू ? या फिर छुपा कर ही रखू ? कही मुझे कोई गलत न समझे उसके पाप का बोझ कही मुझपे न डाल दे -प्रियंका
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आसीरी