ये दिल भी अजीब था जानता था के धोके में है पर बेचारा करता भी क्या धोकेबाज़ तो दिल में ही था उसे निकालता भी कैसे धड़कने उसी के हाथ में थी काँटा ही समझकर रहने दिया कुछ फूल सी यादें भी तो साथ थी ऐसी भी कुछ खास उसकी कहानी नहीं थी बस इसीलिए किसी को सुनानी नहीं थी मगर वो गया तो इसे ख़ास बना गया कभी न ख़तम होने का एहसास बना गया (प्रियंका )
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कहानी अनसुनी