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Poetry

फर्क बहोत है

मजबुरी के साथ रेहना 
और मज़बूरी है इसलिए साथ नहीं रहना 
फर्क बहोत  है 

बात हो कर भी कुछ न समझना 
और चुप रह कर भी सब  समझना 
फर्क बहोत है 

किसीका अपने ख्वाबो में होना
और सिर्फ उसीका का ख्वाब होना 
फर्क बहोत है

बुरे वक्त में साथ निभाना 
और उस वक्त उसके ही साथ होना 
फर्क बहोत है

महोब्बत करना 
और महोब्बत होना 
फर्क बहोत है
 
(प्रियंका )

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By writoshine

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