के कहानी कुछ ऐसी थी महोब्बत हमारी मजहब में कैद थी जहा राधा कृष्ण के प्रेम को पूजा जाता था वहां महोब्बत हमारी सूली चढ़ी थी अर्जी की थी खुदा से रफाकत ने इस तरह चूर की मर्जी खुदा की भी न चली हार हुई हमारे प्यार की हार कुछ ऐसे हुई के जीत का जशन वो मना ना सके छोड़ दी वो पापी दुनिया एकसाथ जानेसे वो रोक ना सके खूब रोया था खुदा जब अर्थिया दो जिस्मो की उठायी महोब्बत हमारी अमर बनी जब रूह साथ दफ़न हुई उस जनम हम मिल ना पाए शायद यही था हमारे किस्मत में प्यार की मिन्नतें तो बहोत की खुदा ने कुबूल की वो जन्नत में बस अब एक हि चाहना है रब से के प्यार में किसीको इस कदर फ़िदा न करे अगर किया भी , तो ऐसे जुदा न करे -प्रियांका
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फ़ुर्क़त